कैलेंडर का आविष्कार किसने किया था

क्या आप जानते हैं कि कैलेंडर का आविष्कार किसने किया था कैलेंडर का इतिहास क्या है और भारत में कौन सा कैलेंडर का उपयोग किया जाता है अगर नहीं जानते हैं तो आज हम इस आर्टिकल में पूरे विस्तार के साथ  कैलेंडर के बारे में जानेंगे आपसे यह निवेदन है की इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें ।

हर बार नया साल आने पर बहुत सारे तैयारियों के बीच दीवार पर टंगा हुआ कैलेंडर भी बदल दिया जाता है और उसकी जगह आने वाले साल का नया कैलेंडर अपनी जगह बना लेता है |

कैलेंडर के हमारे जीवन में कितना ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान है यह तो आप जानते ही होंगे क्योंकि यह कलैंडर ही तो है जो कि सारे दिन साल और त्यौहार से जुड़ी सारी जानकारियां हमें आसानी से दे देता है

खास बात यह है कि कैलेंडर की जानकारी बहुत सटीक होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे जीवन को आसान और सरल बनाने में इस कैलेंडर का इतिहास इतनी आसान नहीं थी |

कैलेंडर नाम कैसे पड़ा

कैलेंडर का इतिहास 2000 साल पुराना है चीन यूनानी सभ्यता में कैलेंड का मतलब होता था चिल्लाना और उस समय में ढोल पीटकर एक व्यक्ति यह बताएं करता था कि कल कौन सी तिथि व्रत या त्यौहार होगा इस आधार पर कैलेंड से कैलेंडर शब्द बना ।

इसी तरह लैटिन भाषा में कैलेंड शब्द का अर्थ है हिसाब किताब करने का दिन इस तरह दिनों महीनों और सालों का हिसाब रखने को कैलेंडर कहा जाने लगा |

जब कैलेंडर नहीं था तब दिनों की गणना कैसे की जाती थी

कैलेंडर के उत्पत्ति से पहले लोग अपने अनुभव के आधार पर ही यह अनुमान लगाया करते थे उनका अनुभव था कि दिन और रात का बटवारा कभी भी बदलता नहीं है और रात में चंद्रमा दिखने का भी एक निश्चित क्रम होता है |

चंद्रमा की घूर्णन और दिन रात के आधार पर दिनों की गिनती की गई चंद्रमा का एक चक्र 29 दिन में पूरा होता है इसे महीना कहां गया और सूर्य के चारों मौसम मिलाकर वर्ष कहा गया इसी तरह धीरे-धीरे कैलेंडर या पंचांग का जन्म हुआ और उसके बाद हर देश ने अपने जरूरत या सुविधा के हिसाब से कैलेंडर बनाने शुरू कर दिए |

किसी देश में राजा को गद्दी पर बैठने को महत्वपूर्ण दिन मानते हुए उसी दिन से गिनती शुरू की गई और विक्रम संवत जैसे कैलेंडर बने तो रोम और यूनान जैसे देशों में राजा के नाम पर कैलेंडर के नाम रखे गए | तो आप जान गए होंगे की दिनों की गणना कैसे की जाती थी अब जानते है की कैलेंडर का आविष्कार किसने किया था|

दुनिया में किस कैलेंडर को सही माना जाता है

आज दुनिया भर में जिस कैलेंडर को मान्यता दी गई है और जीसे फॉलो किया जाता है वह ग्रेगोरियन कैलेंडर  इसे पॉप ग्रीगोरी 13वा ने लागू किया था इस कैलेंडर का आधार जूलियन कैलेंडर था जूलियन कैलेंडर में 365 दिन और 6 घंटे का एक वर्ष माना जाता था |

ऐसा होने पर दिनों की गणना करने में दिक्कतें आने लगी तब रोम के पॉप गिरीगोरी 13वें ने इस कैलेंडर को सुधार करके 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत का दिन तय किया और उनके नाम पर इस कैलेंडर का नाम ग्रेगोरियन कैलेंडर रखा गया ।

ग्रेगोरियन कैलेंडर का मूल इकाई दिन होता है और 365 दिनों का 1 साल होता है लेकिन हर चौथा साल 366 दिन का होता है जिसे लीप ईयर कहा जाता है|

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इस कैलेंडर को 400 सालों में बांटा गया है इन 400 सालों में 303 साल साधारण साल होते हैं जिनमें 365 दिन होते हैं जबकि 97 साल लीप ईयर होते हैं चीन में 366 दिन होते हैं इस तरह हर साल में 365 दिन 5 घंटे 49 मिनट और 12 सेकंड होते हैं |

ग्रेगोरियन कैलेंडर को किस देश ने कब अपनाया

ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाने का समय भी हर देश का अलग-अलग रहा

जैसे : 

  • इटली फ्रांस स्पेन और पुर्तगाल ने 1582 में
  • स्विट्जरलैंड और होलैंड  1583 में
  • पोलैंड ने 1586 में
  • हंगरी ने 1587 में
  • ब्रिटिश साम्राज्य ने 1752 में
  • जापान ने 1873 में
  • चीन ने 1912 में
  • सोवियत रूस ने 1917 में
  • रोमानिया ने 1919 में

ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया था

भारत में कैलेंडर की सुरुआत

कैलेंडर का आविष्कार किसने किया था
             कैलेंडर का आविष्कार किसने किया था

जहां तक भारतीय कैलेंडर की बात है तो भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर भारत में उपयोग में आने वाली सरकारी सिविल कैलेंडर है जो शक संवत पर आधारित है| इस कैलेंडर का शुरुआत 78 ईसा पूर्व में हुई थी और इसकी शुरुआत कुशान के राजा कनिष्क महान ने अपने राज्य रोहन के उत्सव को यादगार बनाने के लिए की थी|

इस भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर का पहला महीना चैत्र होता है इस कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ 22 मार्च 1957 से अपनाया गया है| इसका इस्तेमाल भारत के राज्य पत्र आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले समाचार और भारत सरकार के द्वारा जारी किए जाने संचार विज्ञापनों में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ किया जाता है|

भारत में शक संबंध के अलावा विक्रम संबंध भी प्रचलित है विक्रम संबंध की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में की थी इस समूह में समय की गणना सूर्य और चांद के आधार पर की गई थी|

कैलेंडर के इतिहास क्या है

दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर कैलेंडर बनाए गए ज्ञात इतिहास में माना जाता है कि सबसे पहले यहूदी कैलेंडर की रचना हुई जिसका आरंभ 3500 ईसा पूर्व पहले हुआ था | यह एक सूर्य और चांद के आधार पर बनाया गया कैलेंडर था जिसके पूरे साल में 12 से 13 महीने थे और 353 से 385 दिन 1 साल में हुआ करते थे |

उसके बाद मूल चीनी कैलेंडर की शुरुआत 25100 ईसा पूर्व पहले हुई थी उसके बाद जीसस क्राइस्ट के जन्म के 57 साल पहले भारत में विक्रम संवत कैलेंडर को अपनाया गया|  इसके प्रनेता भारत के सम्राट विक्रमादित्य थे.

विक्रम संवत में 12 महीने का 1 साल होता है दुनिया में 7 दिन का सप्ताह रखने की शुरुआत इसी कैलेंडर में हुई थी यह सूर्य एवं चंद्रमा के गति पर आधारित कैलेंडर है और यह संवत आज भी नेपाल का आधिकारिक और राष्ट्रीय कैलेंडर है |

उसके बाद ग्रेगोरियन कैलेंडर आया ग्रेगोरियन कैलेंडर एक सोलर कैलेंडर है. इसमें साल भर में 12 महीने होते हैं. महीने के 28 से 21 दिन होते हैं और साल में 52 सप्ताह होते हैं. और 1 सप्ताह में 7 दिन होते हैं |

इस कैलेंडर को एलओसीस लीनियस ने बनाया था लेकिन इसे पोप ग्रेगोरी ने प्रसिद्ध किया था ग्रेगोरियन कैलेंडर दर्शन जुलियस सीजर के नया कैलेंडर का रूप है इस कैलेंडर में हर 4 साल एक लीप ईयर होता है जिसमें 365 दिन में 1 दिन जोड़ दिया जाता है और वह साल 366 दिन का हो जाता है जिसे लीप ईयर कहते हैं |

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दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना कि कैलेंडर की शुरुआत कैसे हुई , कैलेंडर का आविष्कार किसने किया था इसका नाम कैलेंडर कैसे पड़ा और सबसे ज्यादा प्रसिद्ध कैलेंडर कौन सा है इसके अलावा आपने यह भी जाना कि भारत में कौन से कैलेंडर प्रचलित है हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको बहुत पसंद आई होगी अगर यह आर्टिकल पसंद आई हो तो आप हमें कॉमेंट करके में बता सकते हैं ।

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