दुनिया के हर देश की ताकत को उसकी सैन्य शक्ति से जोड़कर देखा जाता है | साथ ही लगातार बढ़ते खतरों और चुनौतियों के सामना करने एवं अपने को सुरक्षित रखने के लिए हर देश अत्याधुनिक मिसाइलों के निर्माण में जुटा हुआ है | भारत की मिसाइल प्रणाली के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर लिया है और सशस्त्र बलों की हर आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है |
5000 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के साथ हैं भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो चुका है जिनके पास अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइले है
भारत में कितने प्रकार की मिसाइल है ?
प्रमुख रूप से मिसाइले दो प्रकार की होती है
- क्रूज मिसाइल
- बैलेस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल क्या है
- बैलेस्टिक मिसाइल उस मिसाइले को कहते हैं जिसका प्रक्षेपण सब ऑर्बिटल बैलिस्टिक पथ पर होता है
- यह आकार में काफी बड़ा होता है और भारी वजन के विस्फोट को को ले जाने में सक्षम होता है
- यह मिसाइले अपना ईंधन लेकर चलते हैं
- यह मिसाइल अपना प्रक्षेपण के प्रारंभिक चरण में ही निर्देशित की जाती है इसके बाद इसका पथ आर्बिटल मेकैनिक्स और बैलेस्टिक्स के सिद्धांतों के पथ का निर्धारण करता है
- इसलिए एक बार मिसाइलें छोड़े जाने के बाद उनके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता
- ऐसी मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों के लिए ही होता है लेकिन कुछ मामलों में पारंपरिक हथियारों के लिए भी हो रहा है
- भारत के पास ब्लास्टिक मिसाइलों की श्रेणी में पृथ्वी अग्नि और धनुष मिसाइलें शामिल है
क्रूज मिसाइल क्या है
- क्रूज मिसाइल स्वचालित और स्वर निर्देशित मिसाइल होती है
- यह सतह के काफी नजदीक उड़ती है
- क्रूज मिसाइलें ज्वलनशील विस्फोटक के द्वारा लक्ष्य को भे दती है
- यह आकार में बहुत छोटी और आमतौर पर जेट इंजन से चलती है
- इस मिसाइल को विस्फोटकों को उच्च गति से ले जाने में उपयोग किया जाता है
- यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए ही कारगर माने जाते हैं
- यह अपने आकार के कारण और कम लागत के कारण पारंपरिक हथियारों के साथ ज्यादा प्रयोग किए जाते हैं
इन मिसाइलों का वर्गीकरण इसके प्रक्षेपण मारक क्षमता संचालक शक्ति हथियारों और निर्देशन प्रणाली के आधार पर भी किया जाता है

प्रक्षेपण के आधार पर मिसाइलों के लगभग 8 प्रकार हैं
सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें
- इस मिसाइले का प्रक्षेपण किसी निश्चित जगह से किया जाता है
- इसका संचालन रॉकेट इंजनओ या किसी निश्चित स्थान पर होने के कारण विस्फोट को द्वारा संचालन किया जाता है
सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
- इन मिसाइलों का निर्माण सतह से आसमान में उड़ने वाले लक्ष्य को भेजने के लिए किया जाता है
सतह से समुद्र में मार करने वाली मिसाइल
- इनका प्रयोग सतह समुद्र में स्थित लक्ष्य को भेदने के लिए किया जाता है
हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल
- इनका प्रयोग शत्रु के विमानों को नष्ट करने के लिए किया जाता है
- इन मिसाइलों की गति 4 मैक तक हो सकती है
हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल
- इस प्रकार के मिसाइलों का विकास किसी वायुयान से जमीन या समुद्र की सतह पर स्थित लक्ष्य को भेदने में किया जाता है
- इनमें उच्च तकनीक जैसे लेजर निर्देश और जीपीएस का प्रयोग किया जाता है
समुद्र से समुद्र में मार करने वाली मिसाइल
- इन मिसाइलों का विकास अपने जहाज से शत्रु के जहाजों को नष्ट करने में किया जाता है
समुद्र से सतह पर मार करने वाली मिसाइल
- इन मिसाइलों का प्रयोग जहाजों से समुद्र तटों या सतह पर स्थित लक्ष्य को भेजने के लिए किया जाता है
टैंक रोधी मिसाइले
- इनका प्रयोग टैको और अन्य युद्धक वाहनों को नष्ट करने के लिए किया जाता है
- इनका प्रक्षेपण वायुयान हेलीकॉप्टर और टैंक के जरिए भी किया जाता है
मारक क्षमता के आधार पर मिसाइलों के प्रकार
- इनमें कम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों की छमता करीब 1000 किलोमीटर तक होती है
- मध्यवर्ती दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों की छमता 3000 किलोमीटर से लेकर 5500 किलोमीटर तक होती है
- लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलो की छमता 5500 किलोमीटर से अधिक होती हैं
गाइडेंस सिस्टम के आधार पर मिसाइलों को वर्गीकरण
एक कुंवारे गाइडेंस सिस्टम
- इस प्रकार के मिसाइलों मैं तार के जरिए निर्देश दिए जाते हैं
- जो मिसाइलो के प्रक्षेपण के समय निर्देश देने के बाद उससे अलग हो जाते हैं
कमांड गाइडेंस सिस्टम
- इस प्रकार के मिसाइलों का प्रक्षेपण के बाद भी उन पर नजर रखी जा सकती है इन्हें रेडियो लेजर पतले तारों या ऑप्टिकल फाइबर तारों से भी निर्देश दिए जा सकते हैं
टैरेन गाइडेंस सिस्टम
- इस प्रकार की मिसाइलों में संवेदनशील अल्टीमीटर यानी ऊंचाई नापने वाले यंत्र लगे रहते हैं
मिसाइलों की ईंधन (फ्यूल ) के बारे में
मिसाइलों की शक्ति उनके प्ररपलसल पर भी निर्भर करता है इस प्रकार की मिसाइलों में ठोस ईंधन का प्रयोग किया जाता है यह प्रमुख रूप से एलुमिनियम का पाउडर होता है और ठोस इघंन के प्रयोग से इसे आसानी से संग्रहित किया जा सकता है और उच्च गति भी पाई जा सकती है तरल पर पर्सन की मिसाइलों में तरल ईंधन का प्रयोग किया जाता है
यह ईंधन प्रमुख रूप से हाइड्रोकार्बन होते हैं इनके प्रक्षेपण आसानी से इंधन के बहाव को वालों के जरिए रोक कर नियंत्रित किए जा सकते हैं
हाइब्रिड प्रोपल्शन के मिसाइलों में ठोस और तरल इंधन का इस्तेमाल होता है
क्रायोजेनिक पल्सर इन मिसाइलों में कम तापमान पर ईंधन का प्रयोग किया जाता है इस प्रकार के इंजनों के लिए उच्च तकनीक की जरूरत होती है इन मिसाइलों से लंबी दूरी तक बेहतर गति प्राप्त किया जा सकता है
गति के आधार पर क्रूज मिसाइलें की प्रकार
1. सब सोनिक क्रूज मिसाइल
जिनकी रफ्तार ध्वनि की गति से कम होती है यह मिसाइलें मैक 81 ध्वनि की रफ्तार से गति करती है
2. सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
इस प्रकार की मिसाइले लगभग 2 से 3 मैप की गति से उड़ने में सक्षम होती है यानी यह लगभग 1 किलोमीटर की दूरी 1 सेकंड में तय कर लेती है उच्च गति से उड़ने के कारण यह मिसाइले अति विध्वंसक होती है
भारत और रूस के सहयोग से निर्मित ब्रह्मोस मिसाइले इसी श्रेणी में आती है

भारत में बैलेस्टिक मिसाइलों की शुरुआत कब हुई
- भारत में बैलेस्टिक मिसाइलों की शुरुआत 1960 के दशक में शुरू हुआ डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के अगुवाई में भारत ने 1982 में महत्वकांक्षी मिसाइल कार्यक्रम की शुरुआत की |
- इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत भारत ने जल्द ही मिसाइल तकनीक को उन्नत बनाने में कामयाबी पाई |
- डीआरडीओ ने 1989 में अग्नि उनका सफल परीक्षण कर भारत को मिसाइलो की सूची में चुनिंदा देशों के सामने खड़ा कर दिया |
- मौजूदा वक्त में परमाणु क्षमता से लैस अग्नि मिसाइल है भारतीय मिसाइल प्रणाली की मुख्य रीढ़ है |
- भारत के पास एमआरबीएम ( MRBM ) मीडियम रेंज प्लास्टिक मिसाइले श्रेणी की अग्नि एक और अग्नि दो
- आईआरबीएम ( IRBM ) इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइले श्रेणी की अग्नि 3 और अग्नि 4
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आईसीबीएम ( IRBM ) इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल की श्रेणी में अग्नि 5 मिसाइल सेवा दे रही है यह सभी मिसाइलें एक तन से लेकर 3 टन तक पेलोड ले जाने में सक्षम है |
इनके अलावा डीआरडीओ ( DRDO ) अग्नि 6 को विकसित करने में भी काम कर रही है माना जा रहा है कि इनकी मारक क्षमता 8 से 10000 किलोमीटर तक होगी |
भारत की सबसे खतरनाक मिसाइले कौन है
पृथ्वी मिसाइल
- भारत की एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत पृथ्वी पूर्ण रूप से स्वदेश में निर्मित पहली ब्लास्टिक मिसाइले है
- भारतीय वैज्ञानिकों ने 25 फरवरी 1988 को पृथ्वी मिसाइलो का सफल परीक्षण कर कामयाबी की नई इबारत लिखी
- कम दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल के कई संस्करण है
- इनमें 150 किलोमीटर तक मार करने वाली पृथ्वी मिसाइलों के अलावा 250 किलोमीटर तक मार करने वाली पृथ्वी दो और 350 किलोमीटर तक मार करने की काबिलियत रखने वाले पृथ्वी 3 मिसाइल शामिल है
- पृथ्वी की सभी मिसाइलें एसआरबीएम short-range बैलेस्टिक मिसाइलो श्रेणी की है
- इसके जरिए1000 किलोग्राम तक के बम आसानी से गिराए जा सकते हैं
धनुष मिसाइल
- धनुष मिसाइल पृथ्वी मिसाइलो का ही नौसैनिक संस्करण है यह एकल चरणीय इंघन से संचालित पोत आधारित और कम दूरी के बैलेस्टिक मिसाइल है
आकाश मिसाइल
- सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइलो का विकास 1990 में शुरू किया गया था
- इस मिसाइल की सबसे खास बात यह है कि इसे टैंक या ट्रको जैसे चलित वाहनों से भी लॉन्च किया जा सकता है
ब्रह्मोस मिसाइले
- यह भारत एवं रूस द्वारा विकसित सुपर सोनिक मिसाइलो है यह देश की अब तक के सबसे आधुनिक मिसाइले प्रणाली है
- रैमजेट तकनीक पर आधारित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइले 200 से 300 किलोग्राम पेलोड के साथ 300 किलोमीटर की दूरी पर अपने लक्ष्य को भेद सकती है
- ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन से हवा से पनडुब्बी और युद्धपोत से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है
- अक्टूबर 2014 में डीआरडीओ ने स्वदेशी तकनीक से विकसित देश की पहली सब सोनिक मिसाइलो निर्भय का परीक्षण किया
त्रिशूल मिसाइले
- सतह से हवा में मार करने वाली त्रिशूल मिसाइल
सागरिका
- समुद्र से प्रक्षेपित की जाने वाली ब्लास्टिक मिसाइल सागरिका का भी विकास किया गया है
- सागरिका को 2008 में विशाखापट्टनम के तटीय क्षेत्र से छोरा गया था
- यह मिसाइल 700 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है
बराक मिसाइल
- इजराइल के सहयोग से बनी बराक वन और बराक आठ मिसाइलें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल हैं
अन्य मिसाइले
- इनके अलावा भारत के पास नाग और सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक प्रक्षेपास्त्र शौर्य मिसाइल को भी विकसित किया गया है|
- जो 1 टन परंपरागत या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है हाल के दिनों में डीआरडीओ DRDO ने 10 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर एक नया कीर्तिमान बनाया है |
- भारत ने 23 सितंबर 2018 को एक इंटरसेप्टर मिसाइल को प्रक्षेपित किया जिसे पृथ्वीरक्ष्ययान पीडीभी PDV के नाम से जाना जाता है |
- पृथ्वी रक्षायान मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है |
- पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल अधिक ऊंचाई पर दुश्मनों के बैलेस्टिक मिसाइल को नष्ट करने में उपयोग में लाई जाती है |
- एडवांस एयर मिसाइल निचले सत्ता पर दुश्मनों की बैलेस्टिक मिसाइल को भेजने में सक्षम है |
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