आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम लोग पूरी विस्तार से जानेंगे कि संधि किसे कहते हैं संधि के कितने प्रकार के होते हैं तथा संधि के उदाहरण एवं Sandhi in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे तो आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े ताकि संधि से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां इस लेख में मिल सके|
संधि किसे कहते हैं | Sandhi in Hindi
दो वर्णों का योग से होने वाला बदलाव को संधि कहते हैं या जब दोनों को एक दूसरे के पास में लाया जाता है तब उससे उत्पन्न हुए विकार को संधि कहते हैं जैसे:
विद्यालय = विद्या + आलय
रामायण : रमा + आयन
रमेश : रमा + ईश
संधि कितने प्रकार के होते है । Sandhi in Hindi
जैसा कि ऊपर हमने संधि के परिभाषा एवं उदाहरण के बारे में बताने की कोशिश की है अब जानते हैं कि संधि के प्रकार कितने होते हैं तो संधि के तीन संधि के तीन प्रकार होते हैं :
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विर्षग संधि
स्वर संधि किसे कहते है | स्वर संधि के प्रकार एवं उदहारण
स्वर संधि: स्वर के साथ स्वर के योग से होने वाला बदलाव स्वर संधि कहलाता है स्वर संधि में प्रत्येक स्वर अन्य सभी स्वरों के साथ योग करेगा । जैसे: सुरेन्द्र = सुर + इन्द्र
हिंदी में स्वर संधि के पाच भेद माने जाते हैं
दीर्घ संधि
जब दो संधि जैसे ( अ , आ ) के साथ (अ आ ) के साथ जोड़ते हैं तो आ बनता है वही ( इ ई ) को इ ई के साथ जोड़ते हैं तो ई बनता है एवं ( ऊ उ ) को ऊ उ के साथ संधि करते हैं तो ऊ बनता है जिसे हम दीर्घ संधि के नाम से जानते हैं नीचे के सारणी में दीर्घ संधि का प्रकार एवं उदाहरण को दर्शाया गया है
जैसे : राम = र + आ + म + अ
- अ + अ
- अ + आ आ
- आ + अ
- आ + आ
- इ + इ
- इ + ई ई
- ई + इ
- ई + ई
- उ + उ
- ऊ + उ ऊ
- उ + ऊ
- ऊ + ऊ
बृद्धि संधि
जब दो संधि अ आ को ए, ऐ में जोड़ने पर ऐ बनता है एव आ, अ को ओ, औ मैं जोड़ने पर औ बनता है उससे वृद्धि संधि के नाम से जानते हैं नीचे के सारणी में वृद्धि संधि के प्रकार एवं वृद्धि संधि से संबंधित कुछ उदाहरण दर्शाए गए हैं जैसे :
- सदैव : सदा + एव
- एकैक : एक + एक
- जल्द : जल + इघर
- अ + ए
- आ + ए ऐ
- आ + ऐ
- अ + ऐ
अ / आ + ओ / औ = औ
गुन संधि
जब अ, आ को इ, ई मे संधि करते हैं तो ए बनता है एवं उ, ऊ को अ, आ मे जोड़ते हैं तो ओ बनता है तो उसे गुण संधि के नाम से जानते हैं नीचे हमने गुण संधि के प्रकार एवं गुण संधि के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जैसे :
- महेन्द्र : मह + इंद्र
- नरेश : नर + ईश
- अ + इ
- अ + ई ए
- आ + ई
- आ + इ
- अ + ऊ
- अ + ऊ ओ
- आ + ऊ
- आ + ऊ
यन संधि
इ / ई + सभी असमान्य स्वर ( 9 )
इ / ई , उ + ऊ , ऋ के बाद स्वरों का योग बदल जाता है जो भी असमान स्वर होगा उसका मात्रा लगा दी जाती है उसे यन संधि के नाम से जानते हैं ।
आयादि संधि
जब (ए, ऐ) और ओ को जुड़ने के बाद कोई दूसरा स्वर आ जाए तो ऐ आय बन जाता है एवं औ आव बन जाता है तो उसे अयादि संधि के नाम से जानते हैं नीचे कुछ अयादि संधि के उदाहरण एवं प्रकार दर्शाए गए हैं ।जैसे :
- गायक : गौ + अक
- आय : ऐ + अ
- ए + अय्
- ऐ + आय् अयादि संधि
- ओ + अव्
- औ + आव्
व्यंजन संधि किसे कहते है |
जब स्वर के साथ व्यंजन का योग हो या व्यंजन के साथ स्वर के योग हो या व्यंजन के साथ व्यंजन का योग हो उसे व्यंजन संधि कहते हैं । जैसे
जगदीश = जगत + इस
षणमार्ग = षट् + मार्ग
परिच्छेद = परि + छेद म
व्यंजन संधि के नियम |Sandhi in Hindi
यदि वर्ग के प्रथम वर्ग के साथ किसी सघोष वर्ण का योग हो ( 5 वा छोड़कर ) प्रथम वर्ग अपने ही वर्ग के तृतीय वर्ग में आदेश हो जाता है ।
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यदि प्रथमयदि यदि प्रथमयदि यदि प्रथम वर्ण के बाद किसी भी नासिक्य वर्ण का योग हो तो प्रथम वर्ग अपने ही वर्ग के पंचमाक्षर में बदल जाता है ।जैसे जगतमोहिनी , सन्नारी
वर्ग के चौथे वर्ण के बाद तीन या चार वर्गों का योग हो तो पहले वाले चौथे व उनके स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा वर्ग आदेश हो जाता है ।
यदि किसी उपसर्ग का अंतिम वर्ग स्वर रहित हो और उसके को ईश्वर का योग हो तो वहां संधि नहीं होती है बल्कि संयोग होता है ।
व्यंजन संधि के प्रकार
- म् + क – म तक ( स्पर्शी व्यंजन या वर्गीय व्यंजन ) जैसेः संकर = सम् + कर
- त / द् + ज / झ = ज्
- त / द् + ट / ठ = ट
- त / द + ड / ढ = ड
- त / द + ल = ल्
- त / द + श = च्छ
- त् / द + च/ छ = च्
- त / द + ज / झ = ज
- त / द् + ट / ठ = ट्
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निष्कर्ष :
इस लेख में अपने जाना होगा की संधि किसे कहते हैं, स्वर संधि किसे कहते हैं एवं व्यंजन संधि किसे कहते हैं तथा संधि से संबंधित सभी प्रकार के भेद एवं Sandhi in Hindi में जानने को मिला होगा । हमें उम्मीद है कि आप को इस लेख से कुछ सीखने को जरूर मिला होगा अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कमेंट जरुर करें ।