आज के इस आर्टिकल में हमलोग पूरी बिस्तार से जानेगे की VPN Full Form in hindi क्या होता है , वीपीएन (VPN) काम कैसे करता है , VPN कितने प्रकार के होते है | इससे जूरी सभी जानकारियों के बारे में जानेगे |
क्या आप ऑनलाइन सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर परेशान रहते हैं क्या आपको भी लगता है कि आपकी पर्सनल जानकारी हैकर्स के हाथ लग जाएगी और क्या आप भी अपनी ईमेल, ऑनलाइन शॉपिंग और बिल पेमेंट को सिक्योर रखना चाहते हैं अगर हां तो ऐसा करना संभव है क्योंकि ऑनलाइन प्राइवेसी को सिक्योर करने के लिए वीपीएन (VPN) उपलब्द है
वीपीएन का फुल फॉर्म क्या होता है | VPN Full Form
VPN का फुल फॉर्म Virtual Private Network होता है जिसे हिन्दी मे आभासी निजी संजाल कहते है VPN पब्लिक नेटवर्क यूज करते टाइम आपको प्रोटेक्टेड नेटवर्क कनेक्शन उपलब्द कराता है और यह आपके इंटरनेट ट्रैफिक को क्रिप्ट करता है और आपकी ऑनलाइन आईडेंटिटी को छुपा लेता है ऐसे में थर्ड पार्टी के लिए आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज को ट्रैक करना और आपका डाटा चुराना मुश्किल हो जाता है ।
VPN आपकी पीसी (PC), स्मार्टफोन के सर्वर को कंप्यूटर पर कनेक्ट करता है और आप उस कंप्यूटर के इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करके इंटरनेट पर ब्राउज़ कर सकते है |
वीपीएन ( VPN ) काम कैसे करता है
जब आप एक सिक्योर VPN सर्वर पर कनेक्ट होंगे तब आप अपना इंटरनेट ट्रैफिक एक इंटरएक्टिव टनल से गुजरता है जिसे कोई नहीं देख सकता है. यानी ना तो हैकर्स , ना ही गवर्नमेंट और ना ही आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर देख सकता है | यानी आपका डाटा (DATA) को रीड नहीं किया जा सकता |
VPN कैसे काम करता है इसे समझने के लिए दो सिचुएशन होते हैं
- VPN के बिना
- VPN के साथ
VPN के बिना : जब हम बिना VPN की वेबसाइट का एक्सेस लेते हैं तो उसके इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर आईएसपी ( IPS ) के जरिए साइट पर कनेक्ट कर पाते हैं | आईसपी (ISP ) हमें यूनिक IP एड्रेस देता है. क्योंकि आईएसपी ही हमारा पूरा ट्रैफिक डायरेक्ट ही हैंडल करता है |
वो उन वेबसाइट का पता लगा सकता है जिस पर हम बीजीट करते है तो ऐसे में हमारी प्राइवेसी सिक्योर नहीं हुई.
VPN के साथ : जब हम VPN के साथ इंटरनेट से कनेक्ट होते हैं तब हमारे डिवाइस पर जो VPN एप होता है उसे VPN क्लाइंट भी कहा जाता है और वह VPN सर्वर से सिक्योर कनेक्शन एस्टेब्लिश करता है |
हमारा ट्रैफिक अभी भी आईएसपी ( ISP ) के द्वारा ही पास किया जाता है. लेकिन आईएसपी ट्रैफिक का फाइनल डेस्टिनेशन नहीं देख पाता और जिन वेबसाइट पर हम विजिट करते हैं वह हमारा ओरिजिनल आईपी एड्रेस नहीं देख पाती है जिससे हमारा डाटा हैक नहीं होता है |
VPN की जरूरत क्यों पड़ी
VPN को सबसे पहले 1996 में माइक्रोसॉफ्ट ने बनाया था . ताकि ऐसे कर्मचारी जो ऑफिस में बैठकर काम नहीं करते है बल्कि ऑफिस के बाहर रहकर कहीं से भी काम करते है | वह कर्मचारी कंपनी के इंटरनेट नेटवर्क का सिक्योर एक्सेस ले सकते हैं. जब ऐसा करने से कंपनी की प्रोडक्टिविटी दुगुनी हो गई तो बाकी सभी कंपनियां भी VPN को अपनाने लगे ।
VPN कितने प्रकार के होते हैं

विपिएन (VPN) दो प्रकार के होते हैं
1. Remote Access VPN
रिमोट एक्सेस वीपीएन के जरिए उपयोगकर्ता दूसरे नेटवर्क पर एक प्राइवेट इंक्रिप्शन टनल के जरिए जुड़ पाते हैं इसके जरिए कंपनी के इंटरनेट सर्वर या पब्लिक इंटरनेट से कनेक्ट हुआ जा सकता है |
2. Site to Site VPN
Site to site VPN को Router to Router VPN कहा जाता है. इस टाइप का यूज़ ज्यादातर कॉर्पोरेट एनवायरमेंट में किया जाता है .खासकर जब इंटरप्राइज के अलग अलग जगह पर मुख्यालय होते हैं ऐसे में site to site VPN ऐसा क्लोज इंटरनल नेटवर्क बना देता है. जहां पर सभी लोकेशन एक साथ कनेक्ट हो सके इसे इंट्रानेट वीपीएन ( VPN ) कहा जाता है |
वीपीएन ( VPN ) से होने वाले फायदे और नुकसान
जैसा की ऊपर के आर्टिकल में हमने VPN Full Form in Hindi के बारे में बिस्तार से जानने को मिला होगा अब इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानते है इसका उपयोग से आपका ब्राउजिंग हिस्ट्री, आईपी ऐड्रेस लोकेशन, स्ट्रीमिंग लोकेशन, डिवाइसेज और वेब एक्टिविटी छिप जाती है जिससे आपका पूरा डाटा सुरछित रहता है |
लेकिन फायदे के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं
जैसे :
- Internet slow speed
- No cookies protection
- Not total privacy
इतना सुरक्षित होने के बावजूद भी VPN को पूरी तरह से प्राइवेसी सुरछित नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह हैकर्स ,गवर्नमेंट और आईएसपी से तो डाटा को छुपा सकता है | लेकिन खुद VPN प्रोवाइडर चाहे तो आप की जानकारिया देख सकते हैं तो ऐसे में आपको एक भरोसेमंद VPN प्रोवाइडर से ही सर्विस लेना बेहतर होता है |
सही VPN प्रोवाइडर्स का पता कैसे लगाएं ?
सही विपिन प्रोवाइडर्स का पता कुछ पॉइंट्स के माध्यम से लगाया जा सकता है
- VPN प्रोवाइडर अच्छी स्पीड ऑफर करता हो .
- आपकी प्राइवेसी को सिक्योर करता हो
- VPN प्रोवाइडर्स लेटेस्ट प्रोटोकॉल का उपयोग करता हो
- उसकी बाजार में अच्छी वैल्यू हो
- उसकी डाटा लिमिट्स आपकी जरूरत के हिसाब से मिलता हो
- उसकी सरवर की लोकेशन पता हो
- आप एक से अधिक डिवाइस इस पर बीपीएल उपयोग कर सकते हैं
- बीपीएल का कॉस्ट आपके बजट में हो
- बेस्ट कस्टमर सपोर्ट प्रोवाइड किया जाए
- फ्री ट्रायल उपलब्द हो
- एड्स ( ADS ) को ब्लॉक करने की सुविधा दी गई हो
VPN को किसी भी डिवाइस से कनेक्ट किया जा सकता है या नहीं
हां ऐसी सभी डिवाइसेज जो इंटरनेट से कनेक्ट हो सकती है उनमें VPN का उपयोग हो सकता है और ज्यादातर VPN प्रोवाइडर्स मल्टीपल प्लेटफार्म पर अपना सर्विस दिया करते हैं जैसे लैपटॉप, टेबलेट, स्मार्टफोन, वॉइस असिस्टेंट, स्मार्ट टीवी और स्मार्ट वॉच इत्यादि |
बहुत सेVPN प्रोवाइडर्स अपना फ्री वर्जन भी ग्राहकों को देते हैं लेकिन फ्री वर्जन का लिमिटेसन हो सकती है ।
वीपीएन (VPN) कहां से खरीदें
VPN खरीदने के लिए कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइट दिए गए है
- एक्सप्रेस VPN
- टनल वीपीएन ( VPN )
- स्ट्रांग VPN साइड
जहां से आप अपने WINDOW, पीसी और स्मार्टफोन ,आईफोन, मैक के लिए वीपीएन (VPN) क्लाइंट डाउनलोड कर सकते हैं और फ्री ट्रायल उपयोग कर सकते है |
निष्कर्ष
VPN जैसी सेवाये हमारी ऑनलाइन सुरक्षा और प्राइवेसी को सिक्योर करने के लिए है. तो हम इसका उपयोग अपने फायदे के लिए कर सकते हैं | लेकिन किसी तरह के इनलीगल या अनएथिकल काम में इसका फायदा लेना नुकसान भी पहुंचा सकता है | इसीलिए सही दिशा में ही चलते रहिए क्योंकि मंजिल अभी बहुत दूर है आप खुशनसीबी समझ ले कि सफर अभी जारी है |
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आप किस आर्टिकल में पूरी विस्तार से समझे होंगे की VPN Full Form in Hindi क्या होते हैं अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं |
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