आज के इस आर्टिकल के माध्यम से पर्यावरण दिवस (Essay on Environment Day in hindi) पर 1500 शब्दों में एक लेख के बारे में जानने को मिलेगा जिसमे हमने विश्व पर्यावरण दिवस से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारियों के बारे में बिस्तार से बताने की कोसिस की है आप इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े ताकि|
प्रकृति और पर्यावरण के लिए दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए ही हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है इंसानों और प्रकृति के बीच गहरे संबंधो को देखते हुए खास दिन प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की लिए प्रेरित करता है |
इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है जैव विविधता जो मानव जीवन के अस्तित्व के लिए जरूरी है और जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है |
Essay on Environment Day in hindi
पर्यावरण के प्रति लोगों की उदासीनता हमेशा ही बड़ी चुनौती रही है बीते कई वर्षों से यह कोशिश की जा रही है कि लोगों को पर्यावरण के साथ जोड़ा जाए और इसके अहमियत से लोगों को रूबरू कराया जाए इसके लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है
इसका मकसद इंसानों को प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने को प्रेरित करना है हर साल पर्यावरण दिवस के लिए एक थीम चुनी जाती है इस बार की थीम है | जैव विविधता
हम जो खाद्य पदार्थ खाते हैं जो हवा हम सांस के जरिए लेते हैं जो पानी हम पीते हैं और जो जलवायु हमारी धरती को रहने योग्य बनाती है वह सब प्रकृति की देन है | 1 साल में हमें जिंदा रहने के लिए जितनी ऑक्सीजन की जरूरत होती है उस से आधे से अधिक हिस्से को समुद्री पौधे पैदा करते हैं|
वही एक परिपक्व पेड़ साल भर में 22 किलो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और बदले में हमें शुद्ध ऑक्सीजन देता है प्रकृति हमें जितनी सुविधा देती है वही हम प्रकृति के साथ न्याय नहीं करते हैं हमें पर्यावरण और प्रकृति को बचाने और खुद को बचाने के लिए प्रकृति के संरक्षण पर काफी जोर देने की जरूरत है |
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि अरबों डॉलर खर्च करने पर भी हम प्रकृति और इसकी जैव विविधता को हासिल नहीं कर सकते हैं
सतत विकास एजेंडा 2030 को लागू करने की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण कदम है सतत विकास के 14 और 15 में लक्ष्य को इसके बगैर हासिल करना मुमकिन नहीं होगा इसके तहत हवा पानी जमीन और इको सिस्टम को बचाए रखने का संकल्प लिया गया है इस बार जर्मनी के साथ साझेदारी में कोलंबिया को मेजबान देश बनाया गया हैं|
2010 से लेकर 2020 तक में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम क्या है |
इस बारे में विविधता को बचाने और उसके संरक्षण के लिए सालभर जागरूकता अभियान चलाने का लक्ष्य बनाया गया है असल में हर साल पर्यावरण दिवस के लिए एक थीम तय की जाती है |
साल | थीम |
2021 | पारिस्थितिकी तंत्र बहाली |
2020 | ‘जैव-विविधता |
2019 | हवा को स्वच्छ और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए |
2018 | प्लास्टिक प्रदूषण को से बचने की |
2017 | लोगों को पर्यावरण से जोड़ने की |
2016 | वन्यजीवों की तस्करी को रोकना |
2015 | संयुक्त राष्ट्र ने धरती पर 7 अरब लोगों के भोज और प्रकृति के और प्रकृति के इस्तेमाल में सावधानी बरतना |
2014 | छोटे द्वीप और जलवायु परिवर्तन पर जोर दिया गया |
2013 | कार्बन फुटप्रिंट को कम करना |
2012 | हरित अर्थव्यवस्था के प्रति लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य बनाया गया |
2011 | जंगल बचाने और पेड़ लगाने पर संयुक्त राष्ट्र का जोर था |
इससे पहले भी पर्यावरण से जुड़े कई मुद्दों को टीम बनाकर संयुक्त राष्ट्र ने इसके प्रति जागरूक ता फैलाने का काम किया और हर साल टीम के इर्द-गिर्द अभियान चलाए गए
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
असल में 5 से 16 जून 1972 को पहली भारत संयुक्त राष्ट्र ने स्वीडन में विश्व पर्यावरण दिवस के विषय पर कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था स्टॉकहोम सम्मेलन के दौरान पहली बार एक ही पृथ्वी का नारा दिया गया इसके बाद 15 दिसंबर 1972 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प पारित कर हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का ऐलान किया कहा गया कि इस दिन दुनिया भर में पर्यावरण की वर्तमान चुनौतियों और उसके समाधान पर चर्चा हो|
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इस तरह 1974 मैं पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया पर्यावरण दिवस मनाते करीब 5 दशक हो गए हैं लेकिन पर्यावरण पर चिंताएं जस की तस बरकरार है इस समय पर्यावरण ऐसे समय आया है |

जबकी पूरी मानव जाति एक बड़े स्वास्थ्य संकट कोरोनावायरस महामारी से जूझ रही है और दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसे चुनौतियों से जूझ रही है हालांकि लॉक डाउन की वजह से दुनिया भर में पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने प्रकृति का बेहतर ख्याल रखें |
किन देशो में विश्व पर्यावरण दिवस कब-कब आयोजित किया गया
साल | थीम (बिषय ) | आयोजित देश |
1974 | केवल एक दुनिया | संयुक्त राज्य अमेरिका |
1975 | मानव निपटान | ढाका (बांग्लादेश) |
1976 | पानी: जीवन हेतु महत्वपूर्ण संसाधन | कनाडा |
1977 | ओजोन परत पर्यावरण संबंधी चिंता; भूमि हानि और मृदा क्षरण | बांग्लादेश |
1978 | बिना विनाश के विकास | बांग्लादेश |
1979 | हमारे बच्चों के लिए एक ही भविष्य है – बिना विनाश के विकास | बांग्लादेश |
1980 | नई सदी की नई चुनौती: बिना विनाश के विकास | बांग्लादेश |
1981 | भूजल; मानव खाद्य श्रृंखला में जहरीले रसायन | बांग्लादेश |
1982 | दस साल बाद स्टॉकहोम (पर्यावरण संबंधी चिंता का नवीकरण) | बांग्लादेश |
1983 | खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन और निपटान: अम्लीय वर्षा और ऊर्जा | बांग्लादेश |
1984 | बंजरता | बांग्लादेश |
1985 | युवा: जनसंख्या और पर्यावरण | पाकिस्तान |
1986 | शांति के लिए एक पेड़ | कनाडा |
1987 | पर्यावरण और शरण: एक छत से ज्यादा | केन्या |
मनुष्य को पर्यावरण से फायदा
जैव विविधता के कारण मानव इस धरती पर जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता क्योंकि हम इकोसिस्टम कि एक विविधता है भोजन कपड़ा लकड़ी और इंधन की आवश्यकताओं के लिए जैव विविधता पर ही निर्भर है जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाता है |
वनस्पति के जैव विविधता औषधीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता है एक अनुमान के मुताबिक लगभग 30 फ़ीसदी उपलब्ध औषधि को उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों से ही पाया जाता है जैव विविधता पर्यावरण प्रदूषण के निस्तारण में सहायक होती है |
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वहीं प्रदूषकओं का विघटन और उनका अवशोषण कुछ पौधों की विशेषता होती है वही सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियां जहरीले बेकार पदार्थों के साफ-सफाई में भी सहायक होते हैं|
जैव विविधता में संपन्न वन पारितंत्र कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख और शोषक होते हैं कार्बन डाइऑक्साइड हरित गृह गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदाई है |
जैव विविधता की मृदा के निर्माण के साथ-साथ उसके संरक्षण में भी सहायक होती है जैव विविधता संरचना को सुधार दी है जल धारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाती है और जैव विविधता जल संरक्षण में भी सहायक होती है |
संयुक्त राष्ट्र की जैव विविधता पर आई इसी रिपोर्ट में कोविड-19 को लेकर साफ कहा गया है कि इस तरह की महामारी भी जैव विविधता को पहुंचाए जा रहे नुकसान का नतीजा है क्योंकि मानव का स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहेगा जब हमारा इकोसिस्टम स्वस्थ रहेगा |
भारत में विश्व पर्यावरण दिवस के स्थिति
पर्यावरण असंतुलन और इससे जुड़ी तमाम चुनौतियां पूरी दुनिया के सामने चिंता बनकर उभरी है |भारत दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है लिहाजा भारत में पर्यावरण दिवस मनाने का दायरा और अहम हो जाता है |
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कोरोना की वजह से लागू लॉक डाउन में दुनिया के रफ्तार क्या थमी प्रकृति सांस लेती साफ नजर आने लगी है | चिड़ियों की चहचहाहट नीला आसमान और हरा पौधा और हवा में ताजगी प्रदूषण से बदरंग हुए शहरों में भी अब महसूस हो रही है |
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प्रकृति ने इंसान को साफ इशारा कर दिया की विकास की गति तेज होगी तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचना लाजमी है क्लाइमेंट चेंज की वजह से पूरा दुनिया आज सोच रहा है लेकिन अब वक्त आ गया है मानव पर्यावरण के संरक्षण पर विकास से ज्यादा जोड़ दिया जाए|
बढ़ते कारखानों और गाड़ियों की तादाद ने लोगों को सुविधाएं तो पहुंचाई है लेकिन इससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी फैल रही है कूड़े के ढेर शहरों के पहचान बन गए हैं शहरों के कचरे पर उसके नदियों में बहाए जा रहे हैं |जो चंदसुबिधा के अभाव के चलते उत्तर भारत में गंगा और यमुना की हालत बदतर हो गई है दिल्ली में यमुना और गंदे नालों के बीच फर्क करना भी मुश्किल हो गई है |
आलम यह है कि यमुना का दिल्ली से गुजरने वाली इस नदी को एक पूरी नदी मान ले तो यह दुनिया की सबसे प्रदूषित नदी कहलाएगी |
महानगरों के साथ गंदगी का यह रिश्ता विकास और पर्यावरण पर नए सिरे से सोचना पर मजबूर करता है बिजली की खपत और गाड़ियों की दुआएं पॉलिथीन के इस्तेमाल से लेकर ठोस और द्रव कचरे के निपटान के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है |
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1. विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ?
5 जून को
2.संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था ?
5 जून को 1972
3. 2021 की पर्यावरण थीम क्या है?
पारिस्थितिकी तंत्र बहाली
4. पर्यावरण दिवस 2020 का थीम क्या था?
जैव विविधता
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